Showing posts with label hindu dharmaek. upnishad. brijdham. swami ramsukh dash ji.Spiritual books. Bhakti. gitapress gorakhpur. Show all posts
Showing posts with label hindu dharmaek. upnishad. brijdham. swami ramsukh dash ji.Spiritual books. Bhakti. gitapress gorakhpur. Show all posts

9 Sept 2021

केनोपनिषद्

 


-पुस्तक           केनोपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या       141

-मूल्य               20/-

 

 

केनोपनिषद सामवेदिय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।

सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में भगवान के स्वरूप और प्रभाव-वर्णन के साथ परमार्थ ज्ञान की अनिर्वचनीयता, अभेदोपासना तथा यक्षोपाख्यान में भगवान का सर्वप्रेरकत्व एवं सर्वकर्तृत्व स्वरूप दर्शनीय है। सानुवाद शांकरभाष्य। 

 

ईशावास्योपनिषद्

 


-पुस्तक           ईशावास्योपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या       46

-मूल्य               8/-

 

 

ईशोपनिषद् शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद् अपने नन्हें कलेवर के कारण अन्य उपनिषदों के बीच बेहद महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमें कोई कथा-कहानी नहीं है केवल आत्म वर्णन है।

उपनिषदों में ईशावास्योपनिषद् का सर्वप्रथम स्थान है। यह शुक्ल यजुःसंहिता के ज्ञानकाण्ड का चालीसवाँ अध्याय है। कलेवर में छोटी होते हुए भी यह तत्त्वज्ञान का अक्षयकोश है। सानुवाद, शांकरभाष्य। 

 

माण्डूक्योपनिषद्

 


 -पुस्तक           माण्डूक्योपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या       288

-मूल्य               45/-

 

 

माण्डूक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचयिता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है। इसमें आत्मा या चेतना के चार अवस्थाओं का वर्णन मिलता है - जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय।

अथर्ववेदीय ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में केवल बारह मन्त्र हैं। कलेवर की दृष्टिसे छोटी होने पर भी भगवान् गौणपादाचार्य ने इस पर कारिकाएँ लिखकर इसे अद्वैतवाद की आधारशिला बना दिया है। शांकरभाष्य, हिन्दी अनुवादसहित। 

 

कठोपनिषद्

 


 -पुस्तक           कठोपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या        160

-मूल्य                25/-

 

 

कठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है। कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखा है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है

कृष्ण यजुर्वेद के कठशाखा के अंश इस उपिनषद में जहाँ यम-नचिकेता-संवाद के रूप में ब्रह्मविद्या का विशद वर्णन सुबोध और सरल शैली में किया गया है, वहीं इसमें वर्णित नचिकेता-चरित्र पितृ-भक्ति का अनुपम आदर्श है। सानुवाद, शांकरभाष्य।

 

 

तैतिरीयोपनिषद्

 


-पुस्तक           तैतिरीयोपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या        220

-मूल्य               35/-

 

 

इसमें भगवान् ने बतलाया है कि मोक्षरूप परम निःश्रेयसकी प्राप्ति का एकमात्र साधन हेतु ज्ञान ही है। इसके लिए कोई अन्य साधन नहीं है। 

कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीयारण्यक के प्रपाठक सात से नौ तक वर्णित इस उपनिषद् के सप्तम प्रपाठक शिक्षावल्ली में गुरु-शिष्य परम्परा तथा भृगुवल्ली और ब्रह्मानन्दवल्ली में ब्रह्मज्ञान का सविधि निरूपण है। सानुवाद, शांकरभाष्य।