-पुस्तक तैतिरीयोपनिषद्
-लेखक ............
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 220
-मूल्य 35/-
इसमें भगवान् ने बतलाया है कि मोक्षरूप परम निःश्रेयसकी प्राप्ति का एकमात्र साधन हेतु ज्ञान ही है। इसके लिए कोई अन्य साधन नहीं है।
कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीयारण्यक के प्रपाठक सात से नौ तक वर्णित इस
उपनिषद् के सप्तम प्रपाठक शिक्षावल्ली में गुरु-शिष्य परम्परा तथा
भृगुवल्ली और ब्रह्मानन्दवल्ली में ब्रह्मज्ञान का सविधि निरूपण है।
सानुवाद, शांकरभाष्य।
No comments:
Post a Comment