-पुस्तक शिक्षाप्रद ग्यारह कहानियाँ
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 110
-मूल्य 12/-
लौकिक-पारलौकिक कल्याण की सिद्धि हेतु गृहस्थ साधकों के लिये उपदेशप्रद ग्यारह कहानियों का एक सुन्दर संकलन।
पवित्र कहानियोंके स्वाध्यायसे अध्यात्मकी दिशामें अग्रसर होनेवाले
साधकोंको तत्त्वबोधकी प्राप्ति होती है तथा भगवान्के पुनीत चरणोंमें सहज
अनुराग होता है । पौराणिक कहानियोंके द्वारा धर्म-अधर्मका ज्ञान होता है,
सदाचारमें प्रवृत्ति होती है तथा भगवान्में भक्ति बढ़ती है । इन कथारूप
उपदेशोंको सुनते-सुनते मानवका मन निर्मल होता है, जीवन सुधरता है तथा इहलोक
और परलोक-दोनोंमें सुख और शान्ति मिलती है ।
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