-पुस्तक माण्डूक्योपनिषद्
-लेखक ............
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 288
-मूल्य 45/-
माण्डूक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचयिता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है। इसमें आत्मा या चेतना के चार अवस्थाओं का वर्णन मिलता है - जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय।
अथर्ववेदीय ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में केवल बारह मन्त्र हैं। कलेवर की दृष्टिसे छोटी होने पर भी भगवान् गौणपादाचार्य ने इस पर कारिकाएँ लिखकर इसे अद्वैतवाद की आधारशिला बना दिया है। शांकरभाष्य, हिन्दी अनुवादसहित।
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