-पुस्तक भजनामृत
-लेखक ..............
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 94
-मूल्य 12/-
भक्त अंतःकरण से अपने इष्ट की उपासना में एवं उनके अलंकारिक छटा के वर्णन
में, उनके ऐश्वर्यशाली स्वरूप की अर्चना तथा अपने दैत्य-समर्पण में
भावात्मक गीतों का उद्गार ही भजन कहलाता है, जो ताल और लय के साथ मन को
एकाग्र कर प्रभु के श्रीचरणों में निवेदित होकर आत्म-निवेदन बन जाता है। इस
पुस्तक में साधकों के मन को प्रभु-लीला में तन्मयता के उद्देश्य से भक्त सन्तों के
भजनों का संकलन किया गया है।