9 Sept 2021

मुण्डकोपनिषद्

  

-पुस्तक           मुण्डकोपनिषद्

-लेखक           ............ 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या       110

-मूल्य               15/-

 

 

मुंडकोपनिषद् दो-दो खंडों के तीन मुंडकों में, अथर्ववेद के मंत्रभाग के अंतर्गत आता है। इसमें पदार्थ और ब्रह्म-विद्या का विवेचन है, आत्मा-परमात्मा की तुलना और समता का भी वर्णन है। इसके मंत्र सत्यमेव जयते ना अनृतम का प्रथम भाग, यानि सत्ममेव जयते भारत के राष्ट्रचिह्न का भाग है।

अथर्ववेद के मन्त्रभाग में वर्णित इस उपनिषद में तीन मुण्डक हैं तथा एक-एक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं। आचार्य परम्परा के वर्णन के साथ-साथ इसमें अपरा और परा विद्या के रूप में अनात्म तथा आत्म-तत्त्व का विश्लेषण है। सानुवाद, शांकरभाष्य। 

 

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