-पुस्तक बालकों के कर्तव्य
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 80
-मूल्य 8/-
बालकों को शिष्टाचार, स्वाध्याय और सेवा की शिक्षा प्रदान करने वाली एक अद्भुत पुस्तक।
अनुशासन का आधार प्रेम तथा
कोमलता होना चाहिए न कि कठोरता, क्रूरता, क्रोध एवं अहंकार। हमारा ध्येय
बच्चों को सुधारना नहीं, बनाना है और बच्चे प्रेम और प्रोत्साहन से बनते
हैं न कि मार पीट से। बच्चों को बुरी आदतों से बचाने के लिए स्वयं आदर्श
बनें।