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21 Sept 2021

संध्योपासनविधि,तर्पण एवं बलिवैश्वदेवविधि

 


-पुस्तक             संध्योपासनविधि,तर्पण एवं बलिवैश्वदेवविधि

-लेखक              पं. मदनमोहन शास्त्री

-प्रकाशक          गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या          48

-मूल्य                  6/-

 

 

नित्य सन्ध्या-उपासना एवं तर्पण बलिवैश्वदेवविधि का मन्त्रानुवादके साथ सुन्दर प्रकाशन।

इस पुस्तक की सहायता से नियमित पूजा और पाठ करने से घर की वृद्धि होती है, शत्रुओं का नाश होता है, यश की प्राप्ति होती है, समाज में यश की प्राप्ति होती है। पूजा की आरती से घर के आस-पास के वातावरण में सुख-समृद्धि तो आती ही है, साथ ही अशुभ शक्तियों का नाश होता है, जहां तक पूजा की ध्वनि जाती है, अनिष्ट शक्तियों का नाश होता है और सुख-शांति से समृद्धि फैलती है।

 

सन्ध्या,सन्ध्या-गायत्रीका महत्व और ब्रह्मचर्य

 


-पुस्तक             सन्ध्या,सन्ध्या-गायत्रीका महत्व और ब्रह्मचर्य

-लेखक           ..........

-प्रकाशक        गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या         128

-मूल्य                16/-

 

 

संध्या वंदन से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। सुबह और शाम को संध्या वंदन करने से मन और हृदय निर्मल हो जाता है। सकारात्मक भावना का जन्म होता है जो कि हमारे अच्छे भविष्य के निर्माण के लिए जरूरी है। संध्योपासना के चार प्रकार है- (1)प्रार्थना (2)ध्यान, (3)कीर्तन और (4)पूजा-आरती।

ब्रह्म का अर्थ परमात्मा;चर्य का अर्थ विचरना, अर्थात परमात्मा मे विचरना, सदा उसी का ध्यान करना ही ब्रह्मचर्य कहलाता है। महाभारत के रचयिता व्यासजी ने विषयेन्द्रिय द्वारा प्राप्त होने वाले सुख के संयमपूर्वक त्याग करने को ब्रह्मचर्य कहा है। संसार के किसी भी स्थान, वस्तु, व्यक्ति आदि की अपेक्षा रखे बिना आत्माराम होकर रहना।