21 Sept 2021

सन्ध्या,सन्ध्या-गायत्रीका महत्व और ब्रह्मचर्य

 


-पुस्तक             सन्ध्या,सन्ध्या-गायत्रीका महत्व और ब्रह्मचर्य

-लेखक           ..........

-प्रकाशक        गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या         128

-मूल्य                16/-

 

 

संध्या वंदन से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। सुबह और शाम को संध्या वंदन करने से मन और हृदय निर्मल हो जाता है। सकारात्मक भावना का जन्म होता है जो कि हमारे अच्छे भविष्य के निर्माण के लिए जरूरी है। संध्योपासना के चार प्रकार है- (1)प्रार्थना (2)ध्यान, (3)कीर्तन और (4)पूजा-आरती।

ब्रह्म का अर्थ परमात्मा;चर्य का अर्थ विचरना, अर्थात परमात्मा मे विचरना, सदा उसी का ध्यान करना ही ब्रह्मचर्य कहलाता है। महाभारत के रचयिता व्यासजी ने विषयेन्द्रिय द्वारा प्राप्त होने वाले सुख के संयमपूर्वक त्याग करने को ब्रह्मचर्य कहा है। संसार के किसी भी स्थान, वस्तु, व्यक्ति आदि की अपेक्षा रखे बिना आत्माराम होकर रहना।


 

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