23 Oct 2021

मूर्तिपूजा और नाम जप

 


-पुस्तक                 मूर्तिपूजा और नाम जप  

-लेखक                 श्री स्वामी रामसुख जी

-प्रकाशक             श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या               62

-मूल्य                       5/-
 
 
 
प्रश्न ‒ नाम-जपसे भाग्य (प्रारब्ध) पलट सकता है ?
उत्तर ‒ हाँ, भगवन्नाम के जपसे, कीर्तनसे प्रारब्ध बदल जाता है, नया प्रारब्ध बन जाता है; जो वस्तु न मिलनेवाली हो वह मिल जाती है; जो असम्भव है, वह सम्भव हो जाता है ‒ ऐसा सन्तों का, महापुरुषोंका अनुभव है । जिसने कर्मों के फलका विधान किया है, उसको कोई पुकारे, उसका नाम ले तो नाम लेनेवालेका प्रारब्ध बदलनेमें आश्चर्य ही क्या है ? ये जो लोग भीख माँगते फिरते हैं, जिनको पेटभर खानेको भी नहीं मिलता, वे अगर सच्चे हृदय से नाम-जप में लग जायँ तो उनके पास रोटियोंका, कपड़ोंका ढेर लग जायगा; उनको किसी चीजकी कमी नहीं रहेगी । परन्तु नाम-जपको प्रारब्ध बदलनेमें, पापोंको काटनेमें नहीं लगाना चाहिये । जैसे अमूल्य रत्नके बदलेमें कोयला खरीदना बुद्धिमानी नहीं है, ऐसे ही अमूल्य भगवन्नाम को तुच्छ कामोंमें लगाना बुद्धिमानी नहीं है ।
 

 

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