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22 Oct 2021

धर्म के नाम पर पाप

 


-पुस्तक                 धर्म के नाम पर पाप

-लेखक                 श्री जयदयाल गोयंदका जी

-प्रकाशक             श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या               64

-मूल्य                       4/-
 
 
 
भांति भांति के लोग और भांति भांति की परंपरा, संस्कृति, रिवाज और कर्मकांड के चलते कुछ लोग गफलत में रहते हैं और कुछ लोग अधूरे ज्ञान का बखान करके दूसरों को गफलत में डालने का कार्य भी कहते हैं। 
हिन्दू धर्म के संबंध में अधिक से अधिक जानना जरूरी है, लेकिन हमारा यह जानना स्पष्‍ट हो विरोधाभासिक और भटकाने वाला न हो, इसके लिए कुछ आधारभूत जानकारी जरूरी है। अधिकतर हिन्दुओं में वैचारिक भिन्नता है तो इसका कारण है धर्म का सही ज्ञान नहीं होना। चलिये धर्म का ज्ञान नहीं है तो कम से कम वे काम न करें जो धर्म विरूद्ध हैं या कि जो धर्म से भटकाने वाले हैं।