-पुस्तक भक्त नरसिंह मेहता
-लेखक मंगल जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 160
-मूल्य 20/-
नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है।
इस पुस्तक में गुजरात के प्रसिद्ध भक्त श्री नरसिंह मेहता के चरित्र-चित्रण में उनके जीवन की अद्भुत घटनाओं का बड़ा ही भावात्मक वर्णन किया गया है। पुस्तक 20 अध्यायों में विभक्त की गयी है जिसमें नरसिंह मेहता पर महात्मा की कृपा, कुटुम्ब-विस्तार, शिव-अनुग्रह, रासदर्शन, अनन्याश्रय, कुँवरबाई का दहेज, भक्त और भगवान्, अन्तिम अवस्था आदि महत्वपूर्ण विषय हैं। भगवान के द्वारा भक्त के योग-क्षेम-वहन का नरसिंह मेहता जैसा अद्भुत चरित्र और कोई नहीं मिलता।
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