23 Oct 2021

तू-ही-तू

 


-पुस्तक                  तू-ही-तू 

-लेखक                 श्री स्वामी रामसुख जी

-प्रकाशक             श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या               62

-मूल्य                       5/-
 
 
 

जब तक हम परमात्मा को सर्वत्र व्याप्त नहीं पाते तब तक सारे संशय और मायाजाल हमें घेरे रहते हैं। जब हम परमात्मा को सही जान जाते हैं, तो सर्वत्र और सर्वदा उसी के दर्शन होते हैं।

No comments: