-पुस्तक मामेकं शरणम ब्रज
-लेखक श्री राजेंद्र कुमार धवन
-प्रकाशक गीता गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 108
-मूल्य 20/-
गीता अध्याय-18 श्लोक-
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ।।66।।
सम्पूर्ण
धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्याग कर तू केवल एक
मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे
सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर ।
यह पुस्तक स्वामी रामसुखदासजी के प्रवचनोंं का अनुपम संग्रह हैं।
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