-पुस्तक सत्यप्रेमी हरिश्चन्द्र
-लेखक .......
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 33
-मूल्य 25/-
'सत्यप्रेमी हरिश्चन्द्र' आदर्श
चरितमालाका दूसरा पुष्प है। श्रीहरिचन्द्रका चरित्र अनेकों ग्रन्थोंमें
बिखरा हुआ है और वह बहुत ही आक्षर्यजनक है। पण्डितजीने प्राय: सभी
अन्धोंमें बहुत खोजकर संक्षेपमें यह चरित्र लिखा है । हरिचन्द्रकी
सत्यवादिता और धर्मपर दृढ़ता आदर्श है। यह सत्य है कि जो अपने धर्म और
सत्यपर दृढ़ रहता है, किसी भी परीक्षामें पीछे नहीं हटता, वह
अन्तमें भगवान्की अपार कृपाको प्राप्त करके धन्यजीवन हो जाता है।
हरिश्चन्द्रका जीवन इसका ज्वलन्त उदाहरण है। सत्यसे बहुत नीचे गिरे हुए हम
भारतवासियोंको अपने पूर्वपुरुषके गौरवपूर्ण चरित्रसे लाभ उठाना चाहिये।
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