-पुस्तक पद-रत्नाकर
-लेखक श्रीहनुमानप्रसाद पोद्दार
-प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 974
-मूल्य 110/-
आज गीताप्रेस गोरखपुर का नाम किसी भी भारतीय के लिए अनजाना नहीं है। सनातन हिंदू संस्कृति में आस्था रखने वाला दुनिया में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जो गीता प्रेस गोरखपुर के नाम से परिचित नहीं होगा। इस देश में और दुनिया के हर कोने में रामायण, गीता, वेद, पुराण और उपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषियों -मुनियों की कथाओं को पहुँचाने का एक मात्र श्रेय गीता प्रेस गोरखपुर के आदि-सम्पादक भाईजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार को है। प्रचार-प्रसार से दूर रहकर एक अकिंचन सेवक और निष्काम कर्मयोगी की तरह भाईजी ने हिंदू संस्कृति की मान्यताओं को घर-घर तक पहुँचाने में जो योगदान दिया है, इतिहास में उसकी मिसाल मिलना ही मुश्किल है।
उन्ही के द्वारा प्रकासित पद-रत्नाकर जो कि एक पद-सग्रह है।इस
पद-रत्नाकर की विषयवली इस प्रकार से है-
वंदना एवं प्रार्थना
श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी
बाल-माधुरी की झाँकियाँ
श्रीराधा माधव लीला माधुरी
श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार
श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति
प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व
श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय-गान
अभिलाषा
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