-पुस्तक रस और आनन्द
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोददार
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 154
-मूल्य 25/-
श्रीभाईजी जैसी विभूतियाँ युगों-युगों में इस धरा पर आती है| उनकी स्थिति अनिर्वचनीय है| ऐसे अप्रतिम संत के मुखारविंद से नि:सृत वाणी को पुस्तकाकार रूप में करने के लिए श्रद्धालु साधकों और प्रेमीजनों का बहुत वर्षों से निरंतर आग्रह था| आपके सामने यह पुस्तक प्रतुत है|