-पुस्तक रसिकों का भजन मार्ग
-लेखक श्री ललिताचरण गोस्वामी जी
-प्रकाशक वेणु प्रकासन वृन्दावन
-पृष्ठसंख्या 108
-मूल्य 40/-
"युगल प्रेम रस मगन जे, तेइ आपने मानि,
सब विधि अंतर खोलि के तिन ही सो हित मानि|
यह रस परसै नाहिं जिन तू परसै ताहि,
तासों नातो नाहिं कछु यह रस रुचै न जाहि ||"
ब्रज रस मार्ग जो कि
भक्ति का मार्ग है बहुत ही सूक्ष्म, गहरा और विशेष है| आपको इस बारे में
किसी से बात नहीं करनी चाहिए, जब तक कि वह वास्तव में इसमें रूचि नहीं रखता
और इसके अतिरिक्त आपका वास्तविक परिवार वही है, जो इस दिव्य भक्ति रस
मार्ग में चलते हैं एवं ब्रज रस मार्ग के रसिक जनों की आज्ञा का पालन करते
हैं।