-पुस्तक बालकों की बातें
-लेखक ..........
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 96
-मूल्य 20/-
बालकों को प्रतिदिन खेलना ही चाहिये
खेलने से खाया हुआ पच जाता है, खेलने से मन प्रसन्न रहता है। खेलने से
नये-नये भाई-बन्धु मिलते हैं, खेलने से हाथ, पैर, आँख, कान आदि की चतुराई
बढ़ती है, खेलने से बातचीत करनी आती है, खेलने से हिम्मत बढ़ती है और खेलने से मजे की नींद आती है।