-पुस्तक सत्य एवं प्रेरक घटनाएँ
-लेखक रामशरणदास पिलखुवा जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 190
-मूल्य 28/-
प्रेरक साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में गीता प्रेस एक जाना-पहचाना नाम है।
यूं तो इसकी अनेक पुस्तकें पठनीय हैं परंतु 'सत्य एवं प्रेरक घटनाएं' नामक
पुस्तक सभी को एक बार जरूर पढ़नी चाहिए। पुस्तक के हर अध्याय में शब्दों का
चयन बहुत सोच-समझकर किया गया है और कीमत भी इतनी कि हर पुस्तक-प्रेमी
आसानी से खरीद सके।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसमें उन घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो
सत्य हैं, साथ ही प्रेरक भी। लेखक रामशरणदास पिलखुवा ने वर्षों पूर्व सत्य
घटनाएं लिखी थीं, जिन्हें बाद में 'कल्याण' पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
उन्हीं घटनाओं को संगृहीत कर यह पुस्तक तैयार की गई है।
पुस्तक के कुछ अध्यायों के नाम इस प्रकार हैं — अशुद्ध आहार का प्रभाव, दो
विचित्र स्वप्न, गांव की बेटी अपनी बेटी, कैलास-मानसरोवर में सिद्ध योगी
महात्माओं के दर्शन, पूर्वजन्म का अनूठा संतसेवी बालक, सिद्ध संतों की
चमत्कारी घटनाएं, भगवान् श्रीकृष्ण के अनन्य प्रेमी कुछ गैर-हिंदू भक्तजन,
श्रीरोनाल्ड निक्सन बने श्रीकृष्णप्रेम भिखारी, कृष्णभक्त बहन रेहाना
तैय्यबजी, अंग्रेज मेजर जिन्हें रामायण की चौपाइयां कंठस्थ थीं, मुझे
अशर्फियों के थाल नहीं, मुट्ठीभर आटा चाहिए ... आदि अध्याय अत्यंत प्रेरक
हैं। पुस्तक का विषय और आसान भाषाशैली का संयोग ऐसा है कि एक बार पढ़ने
बैठेंगे तो पूरी पढ़ना चाहेंगे।