-पुस्तक महात्मा विदुर
-लेखक श्री शान्तनुविहारी जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 48
-मूल्य 6/-
महात्मा विदुर का यह चरित 'आदर्श चरितमाला' का चौथा पुष्प है। धर्मावतार विदुरका समस्त जीवन लोक-कल्याण की साधनामें ही बीता। उनका सदाचार और भगवत्प्रेम सर्वथा स्तुत्य है। ये पाण्डवोंके सच्चे हितैषी एवं सखा थे और बड़े ही स्पष्टवादी और नीति-निपुण थे । महाभारत तथा श्रीमद्धागवतके आधारपर पण्डित श्री शान्तनुविहारी जी द्विवेदीने इनके चरित्रका बहुत सरल, सुन्दर एवं ओजस्विनी भाषामें वर्णन किया है। पुस्तकमें विदुरके जीवनकी प्रमुख घटनाओंका उल्लेख तो है ही, सबसे सुन्दर बात यह है कि विद्वान् लेखकने विदुरकी धर्मनीतिका बहुत ही उत्तम आकलन किया है, जिसके कारण पुस्तक सबके लिये उपयोगी हो गयी है। आशा है पाठक इससे लाभ उठायेंगे।