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6 Oct 2021

गीता के परम प्रचारक

 

-पुस्तक                गीता के परम प्रचारक

-लेखक                श्री जयदयाल गोयंदका जी

-प्रकाशक             गीता सेवा ट्रस्ट, जोधपुर

-पृष्ठसंख्या             464

-मूल्य                    60/-
 
 
 
   
सेठजी का जन्म एक व्यापारिक घर में हुआ था इसलिए सेठजी जहाँ रहते थे, जाते थे वहीं उनका कार्यक्षेत्र रहा । जन्मस्थान चुरू, व्यापार-स्थल सर्वप्रथम चुरू ततपश्चात सीतामढ़ी, चक्रधरपुर एवं उसके बाद बाकुंडा रहा । कार्य की दृष्टि से कोलकत्ता, गोरखपुर और स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) इत्यादि प्रमुख स्थल थे । इसके अतिरिक्त सेठजी ने भगवान भजनाश्रम, वृन्दावन एवं नवदीप का कार्य भी संभाला था ।   
सेठजी ने भगवदगीता पर एक टीका तैयार की थी जो गीता-तत्वविवेचनी के नाम से प्रकाशित हुई है । यह इनकी परम प्रिय पुस्तक थी । इसके अतिरिक्त इनके द्वारा लिखित एवं प्रवचनों के आधार पर प्रकाशित लगभग ११५ पुस्तके है । गीता की बारहवी अध्याय के भावों पर उनकी गजल गीता नमक कविता है । रात्रि में सोते समय इनका पाठ करने से विशेष लाभ होगा, ऐसा बताया करते थे । स्वामी रामसुखदास जी महाराज सेठ जी के द्वारा लिखित ‘ध्यानवस्था में प्रभु से वार्तालाप’ एवं ‘प्रेमभक्तिप्रकाश’ नामक पुस्तकों को प्रासादिक ग्रन्थ बताया करते थे । वे कहाँ करते थे जैसे श्रीमदभगवदगीता, रामचरितमानस पाठक पर स्वयं कृपा करते है, वही स्थिति इन पुस्तकों की है । इसके अतिरिक्त संक्षिप्त महाभारत एवं अन्य कई पुराणों का संक्षिप्त रूप से प्रकाशन सेठ जी के सम्पादन में हुआ ।  
 
 
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