-पुस्तक दिव्य संदेश
-लेखक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी
-प्रकाशक श्री गीता प्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 62
-मूल्य 5/-
धर्म के नाम पर आज ढोंग और दम्भ का पार नहीं रहा है।
परमात्मा को, उसके नाम को और उसके दिव्य धर्म को भुलाकर जगत् आज ऊपर की
बातों में ही लड़ रहा है। इसीलिए न तो आज धर्म की उन्नति होती है और न कोई
सुख का साधन ही दीखता है। लोग समझते हैं कि ईश्वर केवल उनके निर्देश किये
हुए स्थान और नियमों में ही आबद्ध है, अन्य सब जगह तो उसका अभाव ही है।