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23 Oct 2021

आनंद की लहरें


 


-पुस्तक                 आनंद की लहरें

-लेखक                 श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी

-प्रकाशक             श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या               32

-मूल्य                       3/-
 
 
 
इस संसार में सभी सराय के मुसाफिर हैं, थोड़ी देरके लिए एक जगह टिके हैं, सभी को समय पर यहाँ से चल देना है, घर-मकान किसीका नहीं है, फिर इनके लिए कि सी से लड़ना क्यों चाहिए ?
जगत में जड़ कुछ भी नहीं है, हमारी जड़वृत्ति ही हमें जड़के  दर्शन करा रही है, असल में तो जहाँ  देखो, वहीं वह परम सुखस्वरूप नित्य चेतन भरा हुआ है! तुम-हम कोई उससे भिन्न  नहीं! फिर दुःख क्यों पा रहे हो? सर्वदा-सर्वदा निजानन्दमें निमग्न रहो!