6 Oct 2021

श्रीवृज लीलास्तव

 


-पुस्तक                श्री विदग्धमाधव नाटक

-लेखक                श्री रूप गोस्वामी जी

-प्रकाशक            श्री हरिनाम संकीर्तन प्रेस वृंदावन

-पृष्ठसंख्या             160

-मूल्य                    100/-
 
 
 
 

श्रीजीव गोस्वामी ने 'लीलास्तव' नामक सनातन गोस्वामी के एक ग्रन्थ का उल्लेख किया है। श्रीकृष्णदास कविराज ने चैतन्य-चरितामृत में –दशम चरित' नामक सनातनकृत एक ग्रन्थ का उल्लेख किया है। नरहरि चक्रवर्ती ने स्पष्ट किया है कि दशम चरित लीलास्तव का ही दूसरा नाम है, क्योंकि इसमें भागवत के दशम स्कन्ध के प्रथम पैंतालीस अध्यायों में से प्रत्येक का लीला-सूत्र नामाकार में वर्णित है। इनके अतिरिक्त और कई ग्रन्थ सनातन गोस्वामी के नाम पर आरोपित हैं, पर उनका सनातनकृत होने के सम्बन्ध में कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इतना निश्चित है कि उस समय के कुछ अन्य लोगों द्वारा लिखे गये ग्रन्थों में भी हरिभक्तिविलास की तरह सनातन गोस्वामी का हाथ है, जैसे श्रीरूप गोस्वामी के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'भक्तिरसामृतसिन्धु' में। उस समय व्रजमंडल में कोई गौड़ीय साधक या शास्त्रविद् कोई ग्रन्थ लिखता तो उसके लिए सनातन गोस्वामी का सहयोग या समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होता, क्योंकि उसके बिना भक्त-समाज में उसके ग्रहण किये जाने की सम्भावना ही न होती। 

 

No comments: