24 Oct 2021

भगवान की दया


 


-पुस्तक                 भगवान की दया 

-लेखक                 श्री जयदयाल गोयंदका जी

-प्रकाशक             श्री गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या               64

-मूल्य                       4/-
 
 
 

भगवान की दया तत्व समझ जाने के बाद फिर कभी अशान्ति हो ही नहीं सकती सदा आनन्द में रहेगा | दया का तत्व जानने पर तो पाप हो ही नही सकते और भजन छूट ही नही सकता |जो दया का महत्व समझ जाय उसे कहने की आवश्यकता नहीं  है | जब तक भजन करना पड़ता है तबतक ही भजन का तत्व नही समझे | अज्ञानी कर्म करता है और ज्ञानी से होता है | भजन में प्रीति हो जायगी तो भजन होने लगेगा, करना नही पड़ेगा |

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