-पुस्तक महापाप से बचो
-लेखक श्री रामसुखदास जी
-प्रकाशक श्री गीता प्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 64
-मूल्य 4/-
मांस, अण्डा, सुल्फा, भाँग आदि सभी अशुद्ध और नशा करने वाले पदार्थों का सेवन करना पाप है; परन्तु मदिरा पीना महापाप
है। कारण कि मनुष्य के भीतर जो धार्मिक भावनाएँ रहती हैं, धर्म की रुचि,
संस्कार रहते हैं, उनको मदिरापान नष्ट कर देता है। इससे मनुष्य महान् पतन
की तरफ चला जाता है।
गर्भपात-जैसे महापाप के भयंकर परिणाम तथा इससे होनेवाले आत्महनन की स्वामी श्री रामसुखदास जी द्वारा सुन्दर व्याख्या।
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