-पुस्तक प्रेम के अंकुर
-लेखक श्री हनुमानप्रसादजी पोद्दार
-प्रकाशक गीतावाटिका गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 155
-मूल्य 30/-
भाई जी के श्री मुख से नि:सृत वाणी को लिपिबद्ध करने का प्रयास
भगवत्कृपा से किया है| इसमें सदाचार, ज्ञान, वैराग्य, भक्ति और प्रेम के
उज्जवलतम स्वरुप का वर्णन बड़े ही सरल, सरस और बोधगम्य भाषा में हुआ है|
हमें आशा और पूर्ण विश्वास है कि इसका अध्ययन-मनन लौकिक लाभदायी तो होगा
ही साथ ही पारलौकिक पथ पर अग्रसर लोगों का पथ-प्रदर्शन अवश्य होगा|
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