-पुस्तक अमृत - कण
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 350
-मूल्य 40/-
भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके लेखोंका एक और सुन्दर संग्रह आपकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है। ये लेख समय-समयपर 'कल्याण'में प्रकाशित हुए हैं । इस संग्रहमें कतिपय स्फुट विषयोंके साथ-साथ आध्यात्मिक साधन-सम्बन्धी अतिशय उपादेय ठोस सामग्रीका भी समावेश हुआ है। व्यक्तिके जीवनका प्रभाव सर्वोपरि होता है और वह अमोघ होता है। श्रीभाईजी अध्यात्म-साधनकी उस परमोच्च स्थितिमें पहुँच गये थे, जहाँ पहुँचे हुए व्यक्तिके जीवनसे जगत्का, परमार्थके पथपर बढ़ते हुए जिज्ञासुओं एवं साधकोंका मङ्गल होता है। हमारा विश्वास है कि जो व्यक्ति इन लेखोंको मननपूर्वक पढ़ेंगे एवं अपने जीवनमें उन बातोंको उतारनेका प्रयत्न करेगे, उनको व्यवहार एवं परमार्थमें निश्चय ही विशेष सफलता प्राप्त होगी।
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