-पुस्तक एक महापुरुष के अनुभव की बातें
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 128
-मूल्य 12/-
हम सभी अपने जीवन में आविष्कारक है हर खोज पर हम सभी यात्राये करते है सभी अपने पथ द्वारा प्रदर्शित होते है जो किसी का नकल नही होता है और ये दुनिया सबके लिए एक द्वार है जो हर किसी को आगे जाने का एक समान अवसर देता है
जितने भी महापुरुष इस संसार में आये वह अपने अनुभव के आधार पर तथा परिस्थितियों के अनुसार लोगों के लिए मार्ग दर्शन कर गये। कबीर साहिब ने सन्त मत की ऊँची से ऊँची शिक्षा दी मगर गिने-चुने लोग ही उनके सच्चे अनुयायी हुये। यही दशा राधास्वामी दयाल के सामने रही। सारे संसार को कोई सत मार्ग पर न ला सका। इसका एक कारण यह भी हो सकता है, कि सार तत्व को किसी ने स्पष्ट रूप से वर्णन नहीं किया और लोग समझ भी न सके। केवल अधिकारी लोग जिनके प्रालब्ध कर्म या संस्कार अच्छे थे वे ही इस संसार सागर से पार हो सके।
वासना रहित होना क्या है ? 24 घंटे का जाप क्या है और उसका साधन कैसे किया
जा सकता है ? तरना और पार होना किस विधि से सम्भव है ? इसके साथ ही संसार
में रहते हए किस साधन से हम सुख-शान्ति से रह सकते हैं ? यह इस पुस्तक में
विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।
इस दृष्टि से यह पुस्तक अद्वितीय है। आशा है प्रेमी पाठक इस शिक्षा से स्वयं लाभ उठायेंगे तथा दूसरों को भी लाभ पहुँचायेंगे।
No comments:
Post a Comment