-पुस्तक एकादश शिव
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 17
-मूल्य 50/-
भगवान शिव की एक विशेषता आशुतोष है क्योंकि उनके भक्तों द्वारा जल्द ही उन्हें प्रसन्न कर दिया जाता है। पुराणों और शैवगामाओं में उनके ग्यारह रूपों का वर्णन किया गया है। शंभू गिरीश, स्थानु, भार्ग, सदाशिव, शिव, हारा, शरवा, कपाली और भव शैवगामा में उनके विशेषण हैं। इस पुस्तक में प्रामाणिक पुस्तकों पर आधारित पूजा और ध्यान के साधनों का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के प्रत्येक बाएं पृष्ठ में ग्यारह रुद्रों का एक सुंदर चित्र है और इसके सामने वाले पृष्ठ पर उनका चित्रण है। इस पुस्तक में औधरदानी शिव, हरिहर शिव, अर्धनारीश्वर शिव, पंचमुख शिव, गंगाधर शिव और महामृत्यु नजय शिव का एक आकर्षक चित्रण भी है, जिसमें उनके विभिन्न दिव्य खेलों का वर्णन किया गया है।
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