-पुस्तक सरल गीता
-लेखक अर्जुन-कृष्ण संवाद
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 255
-मूल्य 40/-
‘गीता’ संसार का एक महानतम ग्रंथ है। इसे हिंदू धर्म के सीमित दायरे में
बाँधकर नहीं देखा जा सकता; क्योंकि संसार की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद
हो चुका है और संसार के करोड़ों-अरबों लोग इसमें बताए गए जीवन-दर्शन का
अनुसरण कर सुखपूर्वक जीवनयापन कर रहे हैं।
‘गीता’ एक ऐसा ग्रंथ है; जो
विलक्षण रहस्यों से भरा हुआ है। इसे आप जितनी बार पढ़ेंगे उतनी ही बार आपको
नए-नए अर्थ; नए-नए भाव और नए-नए तर्क निकलते प्रतीत होंगे।
भगवान्
श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद से उपजा यह ग्रंथ द्वापर युग से आज तक अनेक
संत-महात्माओं का मार्गदर्शन करता आ रहा है। अनेक साधारण लोग इसकी शिक्षाओं
पर चलकर महान् बने हैं। मीरा; सूर; चैतन्य से लेकर महात्मा गांधी तक
भगवद्गीता से जीवन-शक्ति ग्रहण करते रहे हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में गीता
के उपदेशों को सरल व सुगम शब्दों में प्रस्तुत किया गया है; जिससे कि यह
बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उपयोगी बन सके। इसमें ‘गीता’ के अठारह
अध्याय और सात सौ श्लोकों के शब्दार्थ के स्थान पर भावार्थ को प्रमुखता दी
गई है; ताकि जनसामान्य भी इनके भावों और शिक्षाओं को सहजता से ग्रहण कर
सकें।
प्रस्तुत है कर्तव्य; न्याय; सदाचार; पारस्परिक संबंध; अध्यात्म;
वैराग्य; मोह-विरक्ति एवं मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करनेवाली सरल गीता।
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