-पुस्तक अभिलाषामृत
-लेखक श्री राधेश्याम बंका जी
-प्रकाशक गीतावाटिका गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 98
-मूल्य 30/-
श्रीप्रिया
जी के शीश की केशलट और श्रीप्रियतम के शीश के केश-जाल की सुन्दरता में
अनुपम स्पर्धा हो रही है। गौरांग पर नीलाम्बर की लिपटान और श्यामांग पर
पीताम्बर की फहरान हृदय में धँस जाए तो क्या विस्मय किया जाय! युगल के
नयनों की अनुपम सुन्दरता पर कमल विलज्जित हो जायँ, यह स्वाभाविक है। तुम
दोनों की पारस्परिक बतरावन अनुराग-रस की सर्वदा वर्षा करती रहती है।
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