-पुस्तक श्री राधाकृष्णार्चन दीपिका
-लेखक श्री जीव गोस्वामी जी
-प्रकाशक श्री हरिनाम संकीर्तन प्रेस वृंदावन
-पृष्ठसंख्या 160
-मूल्य 100/-
भगवान श्री कृष्ण और राधा का संबंध
आमतौर पर पति-पत्नी का नहीं बल्कि प्रेमी-प्रेमिका के रूप में जाना जाता
है। हलांकि ब्रह्मवैवर्त पुराण में दोनों के विवाह की कथा भी मिलती है और
विवाह स्थल का जिक्र भी किया गया है।
हर जगह श्री कृष्ण के साथ राधा ही नजर आती हैं। इसकी वजह यह है कि 16108 पत्नियों पर राधा का प्रेम भारी था। जबकि अलग-अलग ग्रंथों में राधा और कृष्ण की गोपियों का अलग वर्णन है। एक जगह ये भी लिखा है कि कृष्ण की 64 कलाएं ही गोपियां थीं और राधा उनकी महाशक्ति यानि राधा और गोपियां कृष्ण की ही शक्तियां थीं, जिन्होंने स्त्री रूप ले लिया था। वहीं इसमें राधाजी की माधुर्य-भाव वाली लीलाओं का भी वर्णन है।
यह संगीत माधव ग्रन्थ, गीतगोविन्द नामक ग्रन्थ जैसा ही एक सुन्दर ग्रन्थ हैं। इसमें 16 सर्ग हैं । प्रत्येक सर्ग में श्लोकों के साथ गीत भी हैैं।
No comments:
Post a Comment