-पुस्तक व्रज-भावकी उपासना
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोददार जी
-प्रकाशक गीतावाटिका गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 122
-मूल्य 25/-
श्री भाई जी ने इस पुस्तक में व्रज-भाव जैसा की इसका नाम है का मर्म सिखाया
है | भगवान् के दिव्य विग्रह के दर्शन और भगवान् की लीला चिंतन कैसे करें
यह समझाया है | इस पुस्तक में गोपी-प्रेम,व्रज-भाव की उपसना के प्रश्न और
शरणागति जैसे गूढ़ विषयों का समाधान भी किया है | यह एक उत्कृष्ट पुस्तक है|
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