-पुस्तक सती सुकला
-लेखक श्री रामनाथ सुमन
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 48
-मूल्य 7/-
भारतवर्ष सतियों और पतिव्रताओं पुण्यभूमि है। यहाँ महान् पतिव्रताएँ हो गयी हैं; उन्हींमेंसे सती सुकला एक हैं। पतिकी अनुपस्थितिमें इनकी बड़ी कड़ी-कड़ी परीक्षाएँ हुईं, परंतु ये अपने पातिव्रत्यके बलसे सभीमें सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हो गयीं।
इस इतिहाससे एक शिक्षा यह मिलती है कि पुरुष यदि पतिव्रता पत्नीका परित्याग करके किसी धर्म-कार्यमें प्रवृत्त होता है तो उसे सफलता नहीं मिलती। देवता नाराज होते हैं, पितरोंकी दुर्गति होती है । अतएव पलीको साथ लेकर ही तीर्थयात्रादि धर्म-कार्य करने चाहिये।
इस छोटी-सी पुस्तिकासे हमारे भाई-बहिन लाभ उठावें, यही निवेदन है।
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