31 Aug 2021

भगवत्प्राप्ति कैसे हो

 


-पुस्तक           भगवत्प्राप्ति कैसे हो

-लेखक           श्री जयदयाल गोयन्दका जी 

-प्रकाशक       गीताप्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या       126

-मूल्य              12/-

 

 

श्रद्धावान मनुष्य ज्ञान को प्राप्त होता है। ज्ञान को प्राप्त कर वह बिना विलंब के तत्काल ही भगवत प्राप्ति रूप परम शांति को समझ पाता है। इससे यह समझना चाहिए कि श्रद्धा की कसौटी है तत्परता और तत्परता की कसौटी है मन-इंद्रियों का संयम, क्योंकि जितनी श्रद्धा होती है उतनी ही साधना के लिए के लिए इंद्रियों का संयम होता है।

लक्ष्य के लिए क्रिया और भाव की आवश्यकता होगी। इस योग का नाम साधना है और इन्हीं से सिद्धि प्राप्त होती है। यदि जीवन में एक लक्ष्य हो, आप पूरी तरह उसके प्रति समर्पित हैं, उसमें आप सबकुछ न्यौछावर कर दें.. तो फिर ईश्वर प्राप्ति से आपको कोई भी नहीं रोक सकता। 

श्रद्धालुजनके निरन्तर प्रेमाग्रहके फलस्वरूप इन प्रवचनोंको लेखबद्धकर पुस्तकरूपमें प्रस्तुत करनेका यह सुयोग श्रीभगवान्की अहैतुकी कृपासे ही सम्भव हो सका है। जिसे भगवत्प्रेमी पाठकोंके सेवामें समर्पित करते हुए हम हार्दिक प्रसन्नताका अनुभव कर रहे हैं। 

 

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