-पुस्तक वास्तविक सुख
-लेखक स्वामी रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 96
-मूल्य 10/-
वस्तुतः सुख व दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । अगर कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने जीवन मे दुख का कभी अहसास ही न किया हो यानी उसे बिलकुल पता न हो कि दुख क्या है तो वह सुख को भी नही जान पाएगा
हमारे
पाठक यह अच्छी तरह जानते हैं कि एक सक्षम महात्मा द्वारा बोले और लिखे गए
शब्दों में अकल्पनीय वजन और मूल्य होता है। उनके दृष्टिकोण से यह पुस्तिका
गर्भपात और पूजा के माध्यम से अपने सर्वोच्च कल्याण के इच्छुक सभी लोगों के
लिए सबसे मूल्यवान है।
प्रस्तुत पुस्तक में श्रीरामसुखदास जी महाराजद्वारा नागपुर में दिये गये कुछ उपयोगी प्रवचनों का संग्रह है।
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