-पुस्तक प्रश्नोत्तरमणिमाला
-लेखक स्वामीश्री रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 160
-मूल्य 20/-
स्वामी रामसुखदास जी के पुस्तक 'प्रश्नोत्तरमणिमाला' गीताप्रेस
प्रश्न - जीव का भगवान में आकर्षण (प्रेम ) है , पर भगवान का जीव में आकर्षण कैसे है ?
उत्तर - आकर्षण तो भगवान और जीव - दोनों में है ,पर भूल जीव में है , भगवान में नहीं |जैसे बच्चे को माँ का प्रेम नहीं दिखता , ऐसे ही संसार में आकर्षण होने के कारण मनुष्य को भगवान का प्रेम (आकर्षण ) नहीं दिखता | यदि भगवान का प्रेम दिखे (पहचान में आये ) तो उसका संसार में आकर्षण हो ही नहीं |
भगवान कहते है - ' सब मम प्रिय सब मम उपजाए'
भगवान का प्रेम ही जीव को खींचता है , जिससे कोई भी परिस्थिति निरन्तर नहीं रहती
इस पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के सत्संग तथा प्रवचनों का एक अनुपम संग्रह है।
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