-पुस्तक संत-अंङ्क
-लेखक हनुमान प्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 960
-मूल्य 260/-
जीवन में भगत्प्रेम, सेवा, त्याग, वैराग्य, सत्य, अहिंसा, विनय, प्रेम, उदारता, दानशीलता, दया, धर्म, नीति, सदाचार और शान्ति का प्रकाश भर देने वाली सरल, सुरुचिपूर्ण, सत्प्रेरणादायी छोटी-छोटी सत्कथाओं का संकलन कल्याण का यह विशेषांक सर्वदा अपने पास रखने योग्य है।
भगवत्कृपा से कल्याण का प्रकाशन ईस्वी सन 1926 से लगातार हो रहा है। इस पत्रिका के आद्य संपादक नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार थे। कल्याण के प्रथम अंक में प्रकाशित संपादकीय वक्तव्य पठन सामग्री में उधृत है।
इसमें उच्चकोटि के अनेक संतों; प्राचीन, अर्वाचीन, मध्ययुगीन एवं कुछ विदेशी भगद्विश्वासी महापुरुषों तथा त्यागी वैरागी महात्माओं के ऐसे आदर्श जीवन-चरित्र हैं, जो पारमार्थिक गतिविधियों के लिये प्रेरित करने के साथ-साथ उनके सार्वभौमिक सिद्धान्तों, त्याग-वैराग्यपूर्ण तपस्वी जीवन-शैली को उजागर करके उच्चकोटि के पारमार्थिक आदर्श जीवन-मूल्यों को रेखांकित करते हैं।
यह विशेष संख्या प्राचीन और आधुनिक, सिद्ध आत्माओं के संतों की जीवनी से परिपूर्ण है; वैराग्य और त्याग से परिपूर्ण महापुरुष के आदर्श लक्षण जिनका पाठ पाठकों को आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है
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