-पुस्तक तात्विक प्रवचन
-लेखक स्वामी रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 94
-मूल्य 10/-
स्वामी रामसुखदास जी द्वारा श्री मुरलीमनोहर धोरा, विकानेर में प्रातः पाँच वजे के बाद किये गये कुछ तात्विक प्रवचनों का संग्रह हैं।
अब तक मैंने जो कुछ सुना, पडा और समझा है, उमका सार बताता हूँ। बह सार कोई नयी बात नही है, सबके अनुभव की बात है। मनुष्य का स्वभाव है कि वह सदा नयी-नयी बात चाहता है ।
वास्तव में नयी बात वही है, जो सदा रहने वाली हे। उस बात की ओर आप ध्यान दें। वहुत-ही लाभ की बात है, और बहुत सीधी सरल बात है। उसे धारण कर ले ।
दृढता से मान ले तो अभी वेडा पार है अभी चाहे ऐसा अनुभव न हो, पर आगे अनुभव हो जायगा-यह निश्चित है। विद्या समय पाकर पकती ह विद्या कालेन पच्यते”।