-पुस्तक धर्म से लाभ और अधर्म से हानि
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 190
-मूल्य 15/-
यह 'तत्त्व-चिन्तामणि' का तीसरा भाग है। ‘धर्म-अधर्म कहानियाँ गाँव-देहात से शुरू होकर महानगर तक की जीवननुभूतियों को अभिव्यक्त करती हैं।
प्रस्तुत संग्रह अलग-अलग सात भागों तथा विभिन्न शीर्षकों की तेरह पुस्तकों में पूर्व
प्रकाशित सरल एवं व्यावहारिक शिक्षाप्रद लेखों के इस ग्रन्थाकार संकलन में
गीता-रामायण आदि ग्रन्थों के सार तत्त्वों का संग्रह है। इसके अध्ययन से
साधन-सम्बन्धी सभी जिज्ञासाओं का सहज ही समाधान हो जाता है। यह प्रत्येक घर
में अवश्य रखने एवं उपहार में देने योग्य एक कल्याणकारी ग्रन्थ है।