-पुस्तक भवरोग की रामबाण दवा
-लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 142
-मूल्य 15/-
उदर के समस्त दूषित मल को निकालने के लिये वैद्यलोग एक पंचसकार चूर्ण का प्रयोग किया करते हैं।जिसके सेवन से उदर निर्विकार हो जाता है, सारी व्याधियों की जड़ उदरविकार ही है !
जहाँ उदरविकार नष्ट हुआ, वहीं तमाम रोगों की जड़ कट गयी। इसी प्रकार समस्त भवव्याधिका समूल नाश करने वाला एक पंचसकार का रामबाण नुसखा है। इसमें भी पाँच चीजें हैं और पाँचों ही एक-से-एक बढ़कर लाभ देनेवाली हैं। इनमें से किसी एक का अलग सेवन करने से भी सब विकार नष्ट हो जाते हैं।
- सत्संग
- सदाचार
- संतोष
- सरलता
- सत्य