-पुस्तक ज्ञानयोग का तत्व
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 318
-मूल्य 30/-
इस पुस्तककी उपादेयताके विषयमें इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि यह परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा रचित पुस्तक है ।
ज्ञान योग ज्ञान और स्वंय की जानकारी प्राप्त करने को कहते है। ये अपनी और अपने परिवेश को अनुभव करने के माध्यम से समझना है। ज्ञानयोग सम्बन्धित व्याख्यान, उपदेशों तथा लेखों को लिपिबद्ध कर 'ज्ञानयोग' पुस्तक में संकलित किया है। ज्ञान के माध्यम से ईश्वरीय स्वरूप का ज्ञान, वास्तविक सत्य का ज्ञान ही ज्ञानयोग का लक्ष्य है
एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है अब यदि विश्लेषण किया जाये तो वास्तव में ज्ञान योगी मायावाद के असल तत्व को जानकर,अपनी वास्तविकता और वेदांत के अद्वैत मत के अनुरूप आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानकर मुक्ति प्राप्त करता है।
पाठकगण इस पुस्तकको मन लगाकर पढ़ें एवं अपने प्रिय प्रेमी सज्जनों और बान्धवोंको इस पुस्तकको पढ़नेकी प्रेरणा करें । इस पुस्तकका पठन-पाठन हम सभीके जीवनको उन्नत बना देगा, ऐसी हमें आशा है ।