-पुस्तक प्रेम में विलक्षण एकता
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 160
-मूल्य 15/-
इस पुस्तक 'प्रेम में विलक्षण एकता' को अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। ब्राह्मणीना स्वर्गीय श्री जयदयाल गोयंदका को आध्यात्मिक अनुशासन के अनुयायियों से परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह एक उच्च आत्मा थे, सर्वोच्च कोटि के भक्त थे, जिन्हें अपने जीवन काल में भी दिव्य दृष्टि का आशीर्वाद प्राप्त था।
संक्षेप में कहें तो पुस्तक पाठकों के हाथ में है। कुछ मित्रों की यह स्थायी मांग थी कि इन कीमती नोटों को पुस्तक में प्रकाशित किया जाए, जो लंबे इंतजार के बाद पूरा हो सके। हमें उम्मीद है कि हमारे पाठक किसी भी कमियों, कमीशन और चूक के लिए उदारतापूर्वक क्षमा करेंगे, जिसके लिए हमें जिम्मेदारी लेनी होगी।
मुझे अनेक दिशाओं से आवश्यक सहयोग एवं सहयोग प्राप्त हुआ है जिसके लिए मैं उन सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। हम अपने प्रयास को फलदायी महसूस करेंगे यदि यह पुस्तक उन लोगों के लिए कोई सेवा प्रदान करती है जो भक्ति मार्ग पर साथी यात्री हैं।
हम सर्वशक्तिमान ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमारे पाठकों की मदद के लिए इस पुस्तिका को प्रकाशित करने में हमारी मदद की।