-पुस्तक नेत्रों में भगवान को बसा लें
-लेखक श्री जयदयाल गोयन्दका जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 126
-मूल्य 15/-
यह पुस्तक बताती है कि भक्ति का अभ्यास कैसे किया जाता है, भगवान का ध्यान कैसे किया जाता है, यह भक्तों के उदाहरणों के साथ भक्ति की महिमा को दर्शाता है, जिन्होंने राम कथा और कृष्ण कथा के साथ श्रद्धा की अवधारणा को प्रदर्शित किया।
यह पुस्तक जीवनमुक्त मनीषी ब्रह्मलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रवचनके
रूपमें प्रस्तुत अनेक लौकिक तथा पारलौकिक विषयोंपर सरल और सुबोध भाषामें
शास्त्रानुभूत विचारोंका दुर्लभ संकलन है।