-पुस्तक गृहस्थ में कैसे रहें
-लेखक स्वामीश्री रामसुखदास जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 128
-मूल्य 15/-
भगवान शंकर खोपड़ी और सर्प की माला पहनते हैं जबकि पार्वती सुंदर आभूषण पहनती हैं। शंकर के पुत्र कार्तिकेय के छह मुख हैं जबकि गणेश की लंबी सूंड और बड़ा पेट है। इनके वाहन - बैल, सिंह, मोर और चूहा भी एक दूसरे को खा जाते हैं। विभिन्न (विरोधाभासी) स्वभावों के बावजूद भगवान शंकर के परिवार में हमेशा एकता बनी रहती है। (इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों के साथ, जो अलग-अलग स्वभाव के हैं, स्नेह के साथ, अपने अभिमान और सुख का त्याग करते हुए, दूसरे के कल्याण और सुविधा को ध्यान में रखते हुए रहना चाहिए)"।
इस पुस्तक के अलावा स्वामी जी द्वारा लिखित दो और पुस्तिकाएं 'गौर्ड अगेंस्ट द डेडली सिन' और 'ड्यूटी ऑफ ऑफस्प्रिंग' (माता-पिता के प्रति कर्तव्य) जो गृहस्थों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं, पाठकों से अनुरोध है कि वे इन दोनों पुस्तिकाओं का भी अध्ययन करें और इनका लाभ उठाएं। .