-पुस्तक गोवध भारत का कलङ्क
-लेखक श्री हनुमान प्रसाद पोदार जी
-प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर
-पृष्ठसंख्या 48
-मूल्य 6/-
भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है।
- गोहत्यां ब्रह्महत्यां च करोति ह्यतिदेशिकीम्।
- यो हि गच्छत्यगम्यां च यः स्त्रीहत्यां करोति च ॥ २३ ॥
- भिक्षुहत्यां महापापी भ्रूणहत्यां च भारते।
- कुम्भीपाके वसेत्सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥ २४ ॥
लेकिन ये भी सच है कि भारत के 29 में से 11 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को काटने और उनका गोश्त खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, बाक़ी 18 राज्यों में गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है.
भारत की 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी हिंदू है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं. लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में 'बीफ़' का सबसे ज़्यादा निर्यात करनेवाले देशों में से एक भारत है.
गो-हत्या पर कोई केंद्रीय क़ानून नहीं है पर अलग राज्यों में अलग-अलग स्तर
की रोक दशकों से लागू है. तो सबसे पहले ये जान लें कि देश के किन हिस्सों
में 'बीफ़' परोसा जा सकता है.