-पुस्तक बृज के संत
-लेखक श्रीश्यामदास जी महाराज
-प्रकाशक श्री हरिनाम संकीर्तन वृन्दावन
-पृष्ठसंख्या 464
-मूल्य 300/-
चैतन्य संप्रदाय को गौड़ीय संप्रदाय भी कहा जाता है। इसके प्रवर्तक नित्यानंद प्रभु हैं।
नित्यानंद प्रभु (जन्म:१४७४) चैतन्य महाप्रभु के प्रथम शिष्य थे। इन्हें निताई भी कहते हैं। इन्हीं के साथ अद्वैताचार्य महाराज भी महाप्रभु के आरंभिक शिष्यों में से एक थे। ... इनके माता-पिता, वसुदेव रोहिणी के तथा नित्यानंद बलराम के अवतार माने जाते हैं
बृज मे जन्म लेने वाले या यहॉ आकर निवास करने वाले सभी संतो का वर्णन किया है।
इस ग्रन्थ के तीन भाग हैं-
1 बृज के संत
2 श्री चैतन्य भक्तगाथा
3 हमारे छःगोस्वामी
श्री चैतन्य के पुरवाज़, गुरुवर्ग, छह गोस्वामी, परिकर स्वरूप विभीन भक्तो के चमत्कारी जीवन चरित्र का वर्णन किया गया हैं।
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