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24 Aug 2021

श्रीगणेशपुराणाङ्क कल्याण

 


-पुस्तक          श्रीगणेशपुराणाङ्क  कल्याण

-लेखक          गीता प्रेस गोरखपुर

-प्रकाशक      गीता प्रेस गोरखपुर

-पृष्ठसंख्या      650

-मूल्य              250/-

 

 

किसी भी पूजा-अर्चना या शुभ कार्य को सम्पन्न कराने से पूर्व गणेश जी की आराधना की जाती है। यह गणेश पुराण अति पूजनीय है। इसके पठन-पाठन से सब कार्य सफल हो जाते हैं।

बहुत प्राचीन समय की बात है कि एक बार नैमिषारण्य में कथाकार सूतजी पधारे। उन्हें आया देखकर वहां रहने वाले ऋषि मुनियों ने उनका अभिवादन किया। अभिवादन के बाद सभी ऋषि- मुनि अपने-अपने आसन पर बैठ गए तब उन्हीं में से किसी एक ने सूतजी से कहा-‘‘हे सूत जी ! आप लोक और लोकोत्तर के ज्ञान-ध्यान से परिपूर्ण कथा वाचन में सिद्धहस्त हैं। हमारा आप से निवेदन है कि आप हमें हमारा मंगल करने वाली कथाएँ सुनायें।’’ ऋषि-मुनियों से आदर पाकर सूतजी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा-‘‘आपने जो मुझे आदर दिया है वह सराहनीय है। मैं यहां आप लोगों को परम कल्याणकारी कथा सुनाऊंगा।’’ सूतजी ने कहा-‘‘बह्मा, विष्णु, महेश, ब्रह्म के तीन रूप हैं। मैं स्वयं उनकी शरण में रहता हूं। यद्यपि विष्णु संसार पालक हैं और वह ब्रह्मा की उत्पन्न की गयी सृष्टि का पालन करते हैं। ब्रह्मा ने ही सुर-असुर, प्रजापति तथा अन्य यौनिज और अयौनिज सृष्टि की रचना की है। रुद्र अपने सम्पूर्ण कल्याणकारी कृत्य से सृष्टि के परिवर्तन का आधार प्रस्तुत करते हैं। पहले तो मैं तुम्हें बताऊंगा कि किस प्रकार प्रजाओं की सृष्टि हुई और फिर उनमें सर्वश्रेष्ठ देव भगवान गणेश का आविर्भाव कैसे हुआ।सूतजी की बातें सुनकर ऋषि-मुनियों ने कहा, ‘‘आपने हमें जो बताया है उससे हमें बड़ी प्रसन्नता हुई है।

 आप कृपा करके हमें हमारे पूजनीय देव के विषय में बताइये। जो देवता हमें पूज्य हो और उसकी कृपा से हमारे और आगे आने वाली प्रजाओं के कल्याणकारी कार्य सम्पन्न हों।’’ ऋषियों की बात सुनकर सूतजी ने कहा कि ऐसा देव तो केवल एक ही है और वह है महादेव और पार्वती के पुत्र श्री गणेश।

कल्याण वार्षिक विशेषांक 2021 - श्री गणेश पुराण अंक